Shodashi - An Overview
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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
Goddess is commonly depicted as sitting down to the petals of lotus that is definitely held around the horizontal system of Lord Shiva.
सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।
सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
For those nearing the top of spiritual realization, the ultimate stage is click here referred to as a state of full unity with Shiva. Below, unique consciousness dissolves into your common, transcending all dualities and distinctions, marking the fruits with the spiritual odyssey.
The legend of Goddess Tripura Sundari, also referred to as Lalita, is marked by her epic battles towards forces of evil, epitomizing the Everlasting battle among superior and evil. Her tales are not simply tales of conquest but in addition have deep philosophical and mythological significance.
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥७॥
सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥